यूपी में दलित हित हो ना हो... दलहित में दलितों के दरवाजे पर दस्तक जरूर हो रही है!

UP Assembly By-Elections: उत्तर प्रदेश के सभी सियासी दल... दलित हित में कुछ करें ना करें लेकिन दलहित में दलितों के दरवाजे पर जरूर दस्तक दे रहे हैं. बीजेपी घर-घर जाकर दलितों को पार्टी से जोड़ने का अभियान चलाएगी. तो कांग्रेस हर जिले में दलित चौपाल क

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UP Assembly By-Elections: उत्तर प्रदेश के सभी सियासी दल... दलित हित में कुछ करें ना करें लेकिन दलहित में दलितों के दरवाजे पर जरूर दस्तक दे रहे हैं. बीजेपी घर-घर जाकर दलितों को पार्टी से जोड़ने का अभियान चलाएगी. तो कांग्रेस हर जिले में दलित चौपाल करेगी. अखिलेश यादव की पार्टी गांव-गांव में PDA पंचायत कर रही है. मायावती की पार्टी बीएसपी भी गांव-गांव जाकर दलित पंचायत करने जा रही है.

यूपी में 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव

जानकारों की मानें तो उत्तर प्रदेश में इस वक्त दलित के हित वाली राजनीति सिर्फ और सिर्फ उपचुनाव को लेकर हो रही है. यही कारण है कि यूपी की 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में सबका दिल... दलित पर जा अटका है. इस वक्त सभी दलों की राजनीति दलितों के ही इर्द-गिर्द घूम रही है. भाजपा के साथ-साथ इंडिया गठबंधन और बसपा ने भी पूरा जोर लगा दिया है.

बहनजी अब एक्टिव मोड में..

मायावती को लोकसभा चुनाव में जिस तरह बड़ा झटका लगा. पार्टी एक भी सीट जीतने में नाकाम रही. उसे देखकर बहनजी अब एक्टिव मोड में आ चुकी हैं. मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को दलित पंचायत कराने की जिम्मेदारी सौंपी है. यह ये जान लेना जरूरी है कि अभी तक मायावती के बारे में यही कहा जाता रहा है कि वे उपचुनाव की तरफ ध्यान नहीं देतीं. लेकिन इस बार तस्वीर कुछ और ही है. उपचुनाव से ठीक पहले मायावती और उनके पार्टी के नेताओं ने कमर कस ली है.

..इंडिया गठबंधन की मुश्किलें बढ़ सकती हैं

यूपी की मौजूदा सियासी तस्वीर से यह तय है कि दलितों के घर जाना... उनके घर खाना.. ये सब अब उप-चुनाव तक लगा रहेगा. लेकिन यहां गौर करने वाली बात यह भी है कि मायावती के प्लान से योगी का काम कैसे आसान हो सकता है और कैसे इंडिया गठबंधन की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

उत्तर प्रदेश में 21 प्रतिशत दलित आबादी

इसके लिए 2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजों पर नजर डालनी होगी. लोकसभा चुनाव में अगर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने यूपी की जंग जीती तो इसमें सबसे बड़ा रोल दलितों का रहा. जो मायावती से छिटककर इंडिया गठबंधन की तरफ शिफ्ट हो गए. जाटव और नॉन जाटव मिलाकर उत्तर प्रदेश में 21 प्रतिशत दलित आबादी है.

सीधा फायदा बीजेपी को मिल सकता है..

लोकसभा चुनाव में यूपी के अंदर बीजेपी को 24 प्रतिशत जाटव वोट मिले. जबकि इंडिया गठबंधन को 25 और बीएसपी को 44 प्रतिशत वोट मिले. वहीं नॉन जाटव वोट में से 29 प्रतिशत बीजेपी को मिले जबकि इंडिया गठबंधन को 56 प्रतिशत वोट मिले. वहीं बीएसपी सिर्फ 15 प्रतिशत वोट ही अपने पक्ष में कर पाई. और इसीलिए इतना बड़ा फर्क नतीजे में देखने को मिला. नॉन-जाटव वोटर्स में अगर बीएसपी ने अपना प्रदर्शन सुधारा तो इसका नुकसान इंडिया गठबंधन को उठाना पड़ सकता है. अगर इंडिया गठबंधन का वोट शेयर गिरेगा तो इसका सीधा फायदा बीजेपी को मिल सकता है.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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